मैं मृत्यु सिखाता हूं (प्रवचन नं.1) ~ ओशो

एक अद्भुत अनुभव मुझे हुआ, वह मैं कहूं। अब तक उसे कभी कहा नहीं
अचानक ख्याल आ गया तो कहता हूं। कोई बारह साल पहले, तेरह साल पहले, बहुत रातों तक एक वृक्ष के ऊपर बैठकर ध्यान करता था। ऐसा बार-बार अनुभव हुआ कि जमीन पर बैठकर ध्यान करने पर शरीर बहुत प्रबल होता है।
शरीर बनता है पृथ्वी से और पृथ्वी पर बैठकर ध्यान करने से शरीर की शक्ति बहुत प्रबल होती है। वह जो हाइट्स पर, पहाड़ों पर और हिमालय पर जाने वाले योगी की चर्चा है, वह अकारण नहीं है, बहुत वैज्ञानिक है। जितनी पृथ्वी से दूरी बढ़ती है शरीर की, उतनी ही शरीरतत्व का प्रभाव भीतर कम होता चला जाता है।
तो एक बड़े वृक्ष के ऊपर बैठकर मैं ध्यान करता था रोज रात। एक दिन ध्यान में कब कितना लीन हो गया, मुझे पता नहीं; और कब शरीर वृक्ष से गिर गया, वह मुझे पता नहीं। जब नीचे गिरा पड़ा शरीर, तब मैंने चौंककर देखा कि यह क्या हो गया है! मैं तो वृक्ष पर ही था और शरीर नीचे गिर गया! कैसा हुआ अनुभव, कहना बहुत मुश्किल है।



मैं तो वृक्ष पर ही बैठा था और शरीर नीचे गिरा था और मुझे दिखाई पड़ रहा था कि वह नीचे गिर गया है। सिर्फ एक रजत-रज्जू, एक सिलवर कार्ड नाभि से और मुझ तक जुड़ी हुई थी। एक अत्यंत चमकदार शुभ्र रेखा। कुछ भी समझ के बाहर था कि अब क्या होगा? कैसे वापस लौटूंगा? कितनी देर यह अवस्था रही, वह भी पता नहीं। लेकिन अपूर्व अनुभव हुआ। शरीर के बाहर से पहली दफा देखा शरीर को। और शरीर उसी दिन से समाप्त हो गया।
मौत उसी दिन से खत्म हो गई। क्योंकि एक और देह दिखाई पड़ी जो शरीर से भिन्न है। एक और सूक्ष्म शरीर का अनुभव हुआ। कितनी देर यह रहा, कहना मुश्किल है। सुबह होते-होते दो औरतें वहां से निकलीं दूध लेकर किसी गांव से, और उन्होंने आकर पड़ा हुआ शरीर देखा। वह मैं देख रहा हूं ऊपर से कि वे करीब आकर बैठ गई हैं।
कोई मर गया! और उन्होंने सिर पर हाथ रखा-और एक क्षण में जैसे तीव्र आकर्षण से मैं वापस अपने शरीर में आ गया और आंख खुल गई। तब एक दूसरा अनुभव भी हुआ। वह दूसरा अनुभव यह हुआ कि स्त्री पुरुष के शरीर में एक कीमिया और केमिकल चेंज पैदा कर सकती है और पुरुष स्त्री के शरीर में एक केमिकल चेंज पैदा कर सकता है।
यह भी ख्याल हुआ कि उस स्त्री का छूना और मेरा वापस लौट आना, यह कैसे हो गया! फिर तो बहुत अनुभव हुए इस बात का और तब मुझे समझ में आया कि हिंदुस्तान में जिन तांत्रिकों ने समाधि पर और मृत्यु पर सर्वाधिक प्रयोग किये थे, उन्होंने क्यों स्त्रियों को भी अपने साथ बांध लिया था।
क्योंकि गहरी समाधि के प्रयोग में अगर शरीर के बाहर तेजस शरीर चला गया है, सूक्ष्म शरीर चला गया है, तो बिना स्त्री की सहायता के पुरुष के तेजस शरीर को वापस नहीं लौटाया जा सकता। या स्त्री का तेजस शरीर अगर बाहर चला गया है, तो बिना पुरुष की सहायता के उसे वापस नहीं लौटाया जा सकता।
स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलते ही एक विद्युत वृत्त, एक इलेक्ट्रिक सर्किल पूरा हो जाता है और वह जो बाहर निकल गई है चेतना, तीव्रता से भीतर वापस लौट आती है। फिर तो छह महीने में कोई छह बार अनुभव निरंतर, और छह महीने में मुझे अनुभव हुआ कि मेरी उम्र कम से कम दस वर्ष कम हो गई। दस वर्ष कम हो गई मतलब, अगर मैं सत्तर साल जीता तो अब साठ ही साल जी सकूंगा। छह महीने में कई अजीब-अजीब से अनुभव हुए।
साभार: ओशो वर्ल्ड फाउंडेशन
ओशो
पुस्तकः मैं मृत्यु सिखाता हूं
प्रवचन नं.1 से संकलित

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